BA Semester-3 Sanskrit - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2652
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण

प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के नाम का स्पष्टीकरण करते हुए उसकी सार्थकता सिद्ध कीजिए।

अथवा
इस नाटक का नाम अभिज्ञानशाकुन्तलम् क्यों पड़ा? सिद्ध कीजिए।

उत्तर -

कविताकामिनी के विलास सरस्वती के पुत्र कविकालिदासकृत नाटक 'अभिज्ञानशाकुन्तलम् के नाम की अनेक विद्वानों ने व्युत्पत्ति करके इसके अर्थ को इस प्रकार स्पष्ट किया है -

'अभिज्ञायते अनेन इति अभिज्ञानम्' (अभि + ज्ञा + ल्युट्) अर्थात् जिसके द्वारा पहचाना जाये वह चिह्न (अण) अर्थात् शकुन्तला नाटक। इस प्रकार अभिज्ञानप्रधान शाकुन्तलम् इति अभिज्ञानशाकुन्तलम् अर्थात् अभिज्ञानलसहितं शाकुन्तलम् इति अभिज्ञानशाकुन्तलम् अर्थात् अभिज्ञान पहचान अंगूठी की जिसमें प्रधानता है अथवा जो चिह्न से युक्त है, शकुन्तला संबंधी कथानक वह हुआ अभिज्ञानशाकुन्तलम्। यहाँ पर प्रधान तथा सहित उत्तर पदों का लोप हो जाता है और इस प्रकार उत्तर पद लोपी समास होकर "अभिज्ञानशाकुन्तलम् नाम की सिद्धि हो जाती है।

कुछ विद्वान् इसका नाम 'अभिज्ञानशकुन्तलम्' मानते हैं तथा वे इसकी व्युत्पत्ति इस प्रकार करते हैं 'अभिज्ञानेन स्मृता अभिज्ञानस्मृता सा शकुन्तला इति अभिज्ञानशकुन्तला'। अर्थात् अभिज्ञान द्वारा स्मरण की गई शकुन्तला। यहाँ स्मृता उत्तर पद का विलोप हो जाता है तथा नाटक का नाम होने के कारण नपुसंक लिङ्ग का प्रयोग होने से शब्द बनेग अभिज्ञानशाकुन्तलम्।

इस प्रकार उपर्युक्त विश्लेषण से ज्ञात होता है कि इस नाटक के दो नाम ज्ञात होते हैं किन्तु उसमें भी प्रथम नाम अभिज्ञानशाकुन्तलम् सर्वाधिक प्रचलित है।

महाकवि कालिदास ने दुष्यन्त और शकुन्तला का यह चरित्र कथानक मूल कथा महाभारत के आदि पर्व के 'शाकुन्तलोपाख्यान से लिया है। महाकवि कालिदास ने अपनी बुद्धिचातुर्य से कथा में कतिपय परिवर्तन करके उसे अधिक प्रभावशाली बनाया है। इसमें भी दुर्वासा ऋषि का शाप एवं उसके निवारण के हेतु अभिज्ञान का प्रसंग - नितान्त काल्पनिक है और इस मौलिक कल्पना के पीछे कवि का कथानक बनाने का प्रयोजन निहित है। इस प्रयोजन की सिद्धि के लिए जिस तथ्य की आवश्यकता पड़ी और तथ्य के आधार पर कथानक का नामकरण किया गया। नाटक की अभीष्ट सिद्ध में सहयोग देने के लिए नामकरण निश्चय ही सार्थक है।

महाभारत में बाह्य रूप से उत्पन्न विलासितापूर्ण सामान्य कोटि के प्रेम का वर्णन है। किन्तु महाकवि कालिदास ने महान् प्रेम की परिपक्वता पर विश्वास किया है क्योंकि प्रेम में परिपक्वता विरह, संघर्ष एवं कष्टों के पश्चात आती है। इसी कारण दुर्वासा के शाप का प्रसंग - रखकर उन्होंने दोनों को ही विरह व कष्टों का अनुभव कराकर उनके प्रेम को परिपक्व कर उसे कर्त्तव्यनिष्ठा को प्राप्त करा दिया।

महाभारत का दुष्यन्त विलासी एवं दुराचारी है जो लोकनिन्दा के भय से शकुन्तला का प्रत्याख्यान करता है किन्तु चरित्र चित्रण में अद्वितीय कवि अपने नायक को दुश्चरित्र कैसे देख सकता था। अतएव उसे आदर्श प्रेमी सिद्ध करने के लिए दुर्वासा के शाप का प्रसंग - रखा इसके कारण उनका नायक अज्ञानतावश नायिका का परित्याग करता है।

कवि का उद्देश्य नाटक को सुखान्त बनाने का है अतः शाप के निराकरण का उपाय भी बनाया गया है। शकुन्तला की सखी प्रियंवदा द्वारा अत्यधिक विनय करने पर दुर्वासा ऋषि ने पहचान का आभूषण दिखाये जाने पर शाप की मुक्ति का उपाय बताया। उस नामांकित अंगूठी को देखकर राजा को शकुन्तला संबंधी समस्त प्रणय व्यवहार स्मरण हो जाता है और वे शकुन्तला के प्रेम से उत्पन्न विरह का अनुभव करने लगते हैं।

इस प्रकार यदि अंगूठी राजा को न मिलती तो राजा कदापि शकुन्तला का स्मरण न करता और न उसकी प्राप्ति के लिए व्याकुल होता। अतएव इस ग्रन्थ का नाम 'अभिज्ञानशाकुन्तलम् निश्चय ही सार्थक है। क्योंकि इस अंगूठी द्वारा ही असहनीय वियोग से परिपक्व दो प्रेमियों का मिलन होता है। यह नाटक का लक्ष्य था और इसकी पूर्ति में कवि को अवश्य ही सफलता प्राप्त हुई है। अतः 'अभिज्ञानशाकुन्तलम् के नाम की सार्थकता निश्चय ही स्वीकार करनी पड़ती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भास का काल निर्धारण कीजिये।
  2. प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  4. प्रश्न- अश्वघोष के जीवन परिचय का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- अश्वघोष के व्यक्तित्व एवं शास्त्रीय ज्ञान की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष की कृतियों का उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के काव्य की काव्यगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
  9. प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य कला की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- "कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते" इस कथन की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  11. प्रश्न- महाकवि भट्ट नारायण का परिचय देकर वेणी संहार नाटक की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- भट्टनारायण की नाट्यशास्त्रीय समीक्षा कीजिए।
  13. प्रश्न- भट्टनारायण की शैली पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त के जीवन काल की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  15. प्रश्न- महाकवि भास के नाटकों के नाम बताइए।
  16. प्रश्न- भास को अग्नि का मित्र क्यों कहते हैं?
  17. प्रश्न- 'भासो हास:' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
  18. प्रश्न- भास संस्कृत में प्रथम एकांकी नाटक लेखक हैं?
  19. प्रश्न- क्या भास ने 'पताका-स्थानक' का सुन्दर प्रयोग किया है?
  20. प्रश्न- भास के द्वारा रचित नाटकों में, रचनाकार के रूप में क्या मतभेद है?
  21. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के चित्रण में पुण्य का निरूपण कीजिए।
  22. प्रश्न- अश्वघोष की अलंकार योजना पर प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- अश्वघोष के स्थितिकाल की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- अश्वघोष महावैयाकरण थे - उनके काव्य के आधार पर सिद्ध कीजिए।
  25. प्रश्न- 'अश्वघोष की रचनाओं में काव्य और दर्शन का समन्वय है' इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  26. प्रश्न- 'कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
  27. प्रश्न- भवभूति की रचनाओं के नाम बताइए।
  28. प्रश्न- भवभूति का सबसे प्रिय छन्द कौन-सा है?
  29. प्रश्न- उत्तररामचरित के रचयिता का नाम भवभूति क्यों पड़ा?
  30. प्रश्न- 'उत्तरेरामचरिते भवभूतिर्विशिष्यते' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  31. प्रश्न- महाकवि भवभूति के प्रकृति-चित्रण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- वेणीसंहार नाटक के रचयिता कौन हैं?
  33. प्रश्न- भट्टनारायण कृत वेणीसंहार नाटक का प्रमुख रस कौन-सा है?
  34. प्रश्न- क्या अभिनय की दृष्टि से वेणीसंहार सफल नाटक है?
  35. प्रश्न- भट्टनारायण की जाति एवं पाण्डित्य पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- भट्टनारायण एवं वेणीसंहार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  37. प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  38. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का रचयिता कौन है?
  39. प्रश्न- विखाखदत्त के नाटक का नाम 'मुद्राराक्षस' क्यों पड़ा?
  40. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का नायक कौन है?
  41. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटकीय विधान की दृष्टि से सफल है या नहीं?
  42. प्रश्न- मुद्राराक्षस में कुल कितने अंक हैं?
  43. प्रश्न- निम्नलिखित पद्यों का सप्रसंग हिन्दी अनुवाद कीजिए तथा टिप्पणी लिखिए -
  44. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
  45. प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए।
  46. प्रश्न- "वैदर्भी कालिदास की रसपेशलता का प्राण है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  47. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के नाम का स्पष्टीकरण करते हुए उसकी सार्थकता सिद्ध कीजिए।
  48. प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य की सर्थकता सिद्ध कीजिए।
  49. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् को लक्ष्यकर महाकवि कालिदास की शैली का निरूपण कीजिए।
  50. प्रश्न- महाकवि कालिदास के स्थितिकाल पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के नाम की व्युत्पत्ति बतलाइये।
  52. प्रश्न- 'वैदर्भी रीति सन्दर्भे कालिदासो विशिष्यते। इस कथन की दृष्टि से कालिदास के रचना वैशिष्टय पर प्रकाश डालिए।
  53. अध्याय - 3 अभिज्ञानशाकुन्तलम (अंक 3 से 4) अनुवाद तथा टिप्पणी
  54. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
  55. प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए -
  56. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के प्रधान नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  57. प्रश्न- शकुन्तला के चरित्र-चित्रण में महाकवि ने अपनी कल्पना शक्ति का सदुपयोग किया है
  58. प्रश्न- प्रियम्वदा और अनसूया के चरित्र की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
  59. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् में चित्रित विदूषक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  60. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् की मूलकथा वस्तु के स्रोत पर प्रकाश डालते हुए उसमें कवि के द्वारा किये गये परिवर्तनों की समीक्षा कीजिए।
  61. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के प्रधान रस की सोदाहरण मीमांसा कीजिए।
  62. प्रश्न- महाकवि कालिदास के प्रकृति चित्रण की समीक्षा शाकुन्तलम् के आलोक में कीजिए।
  63. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के चतुर्थ अंक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- शकुन्तला के सौन्दर्य का निरूपण कीजिए।
  65. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् का कथासार लिखिए।
  66. प्रश्न- 'काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला' इस उक्ति के अनुसार 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' की रम्यता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
  67. अध्याय - 4 स्वप्नवासवदत्तम् (प्रथम अंक) अनुवाद एवं व्याख्या भाग
  68. प्रश्न- भाषा का काल निर्धारण कीजिये।
  69. प्रश्न- नाटक किसे कहते हैं? विस्तारपूर्वक बताइये।
  70. प्रश्न- नाटकों की उत्पत्ति एवं विकास क्रम पर टिप्पणी लिखिये।
  71. प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
  72. प्रश्न- 'स्वप्नवासवदत्तम्' नाटक की साहित्यिक समीक्षा कीजिए।
  73. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर भास की भाषा शैली का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के अनुसार प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- महाराज उद्यन का चरित्र चित्रण कीजिए।
  76. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् नाटक की नायिका कौन है?
  77. प्रश्न- राजा उदयन किस कोटि के नायक हैं?
  78. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर पद्मावती की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  80. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के प्रथम अंक का सार संक्षेप में लिखिए।
  81. प्रश्न- यौगन्धरायण का वासवदत्ता को उदयन से छिपाने का क्या कारण था? स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- 'काले-काले छिद्यन्ते रुह्यते च' उक्ति की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- "दुःख न्यासस्य रक्षणम्" का क्या तात्पर्य है?
  84. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : -
  85. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिये (रूपसिद्धि सामान्य परिचय अजन्तप्रकरण) -
  86. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिये।
  87. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (अजन्तप्रकरण - स्त्रीलिङ्ग - रमा, सर्वा, मति। नपुंसकलिङ्ग - ज्ञान, वारि।)
  88. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
  89. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्त प्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - I - पुल्लिंग इदम् राजन्, तद्, अस्मद्, युष्मद्, किम् )।
  90. प्रश्न- निम्नलिखित रूपों की सिद्धि कीजिए -
  91. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
  92. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्तप्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - II - स्त्रीलिंग - किम्, अप्, इदम्) ।
  93. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूप सिद्धि कीजिए - (पहले किम् की रूपमाला रखें)

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